- रेबीज संक्रमण की पहचान कैसे करें। संक्षिप्त विवरण हिंदी में।
रेबीज एक घातक (मौत का कारण बनने वाली) वायरल रोग है, जो स्तनधारियों (mammals) के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) को प्रभावित करता है। यह रोग रेबीज वायरस के कारण होता है और मुख्य रूप से संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच से फैलता है। रेबीज वायरस संक्रमित जानवर की लार (saliva) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है, खासकर जब वह त्वचा में घाव या आंख, नाक या मुंह की श्लेष्म झिल्ली (mucous membrane) के संपर्क में आता है।
- रेबीज के लक्षण
रेबीज के दो प्रकार होते हैं — फ्यूरियस रेबीज और पैरालिटिक रेबीज। इसके लक्षण संक्रमण के 1 से 3 महीने बाद (इनक्यूबेशन पीरियड) दिखाई दे सकते हैं।
फ्यूरियस (उग्र) और पैरालिटिक (गूंगा) रेबीज, रेबीज के दो अलग-अलग रूप हैं, जिनमें से पहला अति सक्रियता (furious) और पानी से डरने जैसे लक्षणों से, और दूसरा पक्षाघात (Paralysis) से चिह्नित होता है।
फ्यूरियस रेबीज (उग्र रेबीज):
यह रेबीज का सबसे सामान्य रूप है, जो मानव मामलों के 85% में पाया जाता है.
इस रूप में, व्यक्ति में अति सक्रियता, उत्तेजित व्यवहार, मतिभ्रम, समन्वय की कमी, हाइड्रोफोबिया (पानी से डर) और एरोफोबिया (ड्राफ्ट या ताज़ी हवा से डर) जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
यह रोग जल्दी प्रगति करता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो मृत्यु हो सकती है.
पैरालिटिक रेबीज (गूंगा रेबीज):
यह रेबीज का एक कम सामान्य रूप है, जो मानव मामलों के 10% में पाया जाता है.
इस रूप में, व्यक्ति में पक्षाघात, खासकर श्वसन और बल्बर मांसपेशियों का पक्षाघात, दिखाई देता है.
यह रोग धीरे-धीरे प्रगति करता है और उग्र रेबीज की तुलना में लंबी अवधि तक चल सकता है.
कुछ मामलों में हाइड्रोफोबिया टर्मिनल कोमा से पहले
विकसित होता है.
- शुरुआती लक्षण:
बुखार और सिरदर्द
कमजोरी और थकान
काटे गए स्थान पर जलन या झुनझुनी
- गंभीर लक्षण:
भ्रम (Confusion), उत्तेजना और मतिभ्रम (Hallucination)
जल का भय (Hydrophobia)
पानी का डर (Aerophobia)
निगलने में कठिनाई
मांसपेशियों में पक्षाघात (Paralysis)
दौरे (Seizures)
कोमा और मृत्यु
- बचाव और उपचार
टीकाकरण (Vaccination): रेबीज को पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस (PEP) के जरिए रोका जा सकता है। इसमें रेबीज के टीकों की एक श्रृंखला और रेबीज इम्यून ग्लोबुलिन (RIG) शामिल होते हैं, जो संपर्क के तुरंत बाद दिए जाते हैं।
- बचाव के उपाय:
पालतू जानवरों (जैसे कुत्ते और बिल्लियों) का टीकाकरण करवाना।
जंगली जानवरों से संपर्क से बचना।
किसी जानवर के काटने के बाद तुरंत चिकित्सा सहायता लेना।
एक बार लक्षण प्रकट होने के बाद, रेबीज लगभग हमेशा जानलेवा होता है। इसलिए, संदिग्ध संपर्क के बाद तुरंत चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत आवश्यक है।
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