प्रयागराज का दिल दहला देने वाला मामला: UPSC की तैयारी कर रहे छात्र ने खुद को लड़की बनाने की चाह में उठाया खतरनाक कदम
परिचय
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को हैरान कर दिया। यहां यूपीएससी की तैयारी कर रहे 17 वर्षीय छात्र ने खुद को लड़की बनाने की चाह में ऐसा खतरनाक कदम उठाया, जिससे उसकी जान खतरे में पड़ गई। इस घटना ने न सिर्फ परिजनों बल्कि समाज को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
अमेठी का रहने वाला यह छात्र प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में किराए का कमरा लेकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। पिता किसान हैं और परिवार में वह माता-पिता की इकलौती संतान है। परिवार ने बड़े सपनों के साथ उसे पढ़ाई के लिए भेजा था, लेकिन छात्र के मन में कुछ और ही चल रहा था।
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छात्र अक्सर गूगल और यूट्यूब पर "लड़का से लड़की बनने" की जानकारी लेता था।
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उसने कटरा क्षेत्र के एक निजी चिकित्सक से सलाह ली और अपनी इच्छा जाहिर की।
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डॉक्टर ने गलत तरीके से उसे बताया कि प्राइवेट पार्ट हटाने से यह संभव है।
खुद पर किया खतरनाक सर्जरी जैसा प्रयोग
छात्र ने चिकित्सक की बातों पर भरोसा कर लिया और सर्जिकल ब्लेड, एनेस्थीसिया का इंजेक्शन और अन्य सामान खरीद लिया।
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उसने खुद को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया।
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प्राइवेट पार्ट को ब्लेड से काट दिया और पट्टी बांध दी।
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शुरुआत में उसे कुछ महसूस नहीं हुआ, लेकिन असर खत्म होने पर दर्द असहनीय हो गया।
दर्द से तड़पते हुए उसने मकान मालिक से मदद मांगी। उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डॉक्टरों की टीम ने बचाई जान
पहले छात्र को बेली अस्पताल ले जाया गया, फिर एसआरएन अस्पताल रेफर कर दिया गया।
डॉ. संतोष सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर, सर्जरी विभाग) ने बताया कि छात्र अब अपनी गलती मान रहा है और परिजनों की सहमति से वह रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कराना चाहता है।
प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. मोहित जैन के अनुसार, छात्र के अंग पूरी तरह अलग नहीं हुए थे, लेकिन गंभीर रूप से डैमेज थे। विशेषज्ञों की टीम उसकी स्थिति को सामान्य बनाने का प्रयास कर रही है।
इस घटना से क्या सीख मिलती है?
यह मामला एक बड़ी चेतावनी है कि इंटरनेट या गलत सलाह पर भरोसा करना कितना खतरनाक साबित हो सकता है।
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जेंडर डिस्फोरिया या जेंडर आइडेंटिटी से जुड़े मुद्दों पर क्वालिफाइड डॉक्टर या काउंसलर से परामर्श लेना जरूरी है।
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किसी भी तरह की सर्जरी या हार्मोनल ट्रीटमेंट हमेशा विशेषज्ञ और अधिकृत चिकित्सा संस्थान में ही कराना चाहिए।
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परिवार और समाज को भी ऐसे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे गलत कदम न उठाएं।
निष्कर्ष
प्रयागराज का यह मामला बेहद दर्दनाक है और यह दिखाता है कि जानकारी की कमी और गलत दिशा में उठाए गए कदम जीवनभर का पछतावा बन सकते हैं। इस घटना के बाद छात्र अब वापस सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहा है।
👉 यह समय है कि समाज और परिवार, दोनों मिलकर ऐसे युवाओं को सही मार्गदर्शन और भावनात्मक सहयोग दें, ताकि वे अपनी जिंदगी और करियर दोनों को सुरक्षित बना सकें।
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